अब प्यार का न तो दर्द हैं न तो खुशी है जिंदगी चल रही हैं जैसे होती है।




प्यार शब्द सुनने में कितना अच्छा लगता हैं हर किसी के जीवन में कभी न कभी ये शब्द ही आता हैं मेरे भी मन में ये शब्द आया, शब्दो का मन में आना तो ठीक हैं पर ये शब्द जब हमारे जहन में आना शुरू हो जाता हैं तो हम तमाम तरह से सोचने लगते हैं कुछ इसी तरह मेरे साथ भी हुआ, मैंने भी खुद को किसी के साथ महसूस करना शुरू कर दिया था खुद को मैंने उसके इतने करीब आने में काफी लंबा वक्त दिया था फिर भी समय के साथ मैंने खुद को उसके पास पाया था उसका मुझे हमेशा परेशान करना, हमेशा मुझे देखना, बस मुझे ही देखते रहना अब मुझे पसंद आने लगा था अब मैं धीरे धीरे उसकी तरफ जाने लगी थी मैंने सोचा क्यों न मैं भी एक कदम बढ़ा दू उसकी तरफ तो कितना अच्छा होगा, कुछ दिन सोचा फिर बढ़ा दिया क़दम मैंने भी उसकी ओर, फिर क्या होना था, हो गया प्यार मुझे भी, इस प्यार की दुनिया में एक और प्यार खुद को कुर्बान करने के लिए, मुझे क्या पता था की ये दुनिया जो बाहर से दिखने  में जो इतनी प्यारी लगती हैं पर वो  दुनिया खुद को न जाने कितने दर्द और सितम लिए हुये हैं अपने अंदर के दर्द को बाहरी दुनिया से छिपाये हुये सिर्फ अपना हँसाता चेहरा ही दिखता हैं मुझे क्या पता था की जो दुनिया जैसे होती है वो अपने दुनिया में आने वाले लोगो को अपने जैसा ही दर्द ओर प्यार देती हैं समय के साथ हम दोनों में प्यार बढ़ने लगा ।

    अब हम दोनों के बीच वो होना शुरू हुआ जो एक नव प्रेमीयों के बीच होता हैं मैं उसको समझने की कोशिश करने लगी उसकी हर बातों को सुनना शुरू किया वो मुझे अपने हर बाते बताने लगा उसकी हर बात मुझे अब अच्छी लगाने लगी वो बाते चाहे कितनी भी झूठी थी चाहे कितनी भी साची थी पर अब मुझे उसकी हर बात प्यारी लगने लगी थी जब कभी वो मुझे अपनी परेशानियाँ सुनता था तो मन में आता, की उसकी हर परेशानियों को मैं तुरंत दूर कर दू पर मैं कुछ भी न कर पाती थी पर फिर भी मुझसे जो हो पाता मैं उसके लिए किया करती थी वो कहते हैं न हम किसी के लिए कुछ भी कर दे लेकिन कुछ एक न करे तो उसको कमी महसूस होती हैं न बस यही कमी होने लगी थी मुझसे, कमियां किसमे नहीं होती हैं जैसी कमियां मुझमें थी वैसे कमियां उसमे में भी थी उसको पसन्द था कईयों के साथ बाते करना, मुझे उससे भी कोई शिकायत नहीं थी जो कमी मुझमें थी उसको पाने के लिए वह दूसरों से बाते करता हैं मैंने भी कई बात कोशिश की इस कमी को पूरी करने की पर मैं नहीं कर पाती थी उसको तो बहुत जल्दी थी पर मैं थोड़ा और वक़्त मांग रही थी पर वो देने ही नहीं चाहता था। वक़्त धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा मैंने भी उसके पीछे बढ़ने लगी समय के साथ हम लोग के बीच एक खाई सी बनने लगी मैं उसके प्यार में पागल होने लगी। एक बात तो सही हैं उसके लिए मैं कुछ भी ना थी पर याद वो भी करेगा कभी जब उसको मेरे जैसा दर्द उसको भी मिलेगा। अब हम दोनों के बीच कुछ नहीं रहा वो वक़्त के साथ अपने रास्ते कि तरफ आगे बढ़ने लगा और मैं अभी भी रुक कर उस रास्ते में ख़ुद को देख रही हूं कि जो रास्ते मैं तय लिए उसके साथ क्या हो यहीं तक का सफ़र था मुझे छोड़ कर वह आगे बढ़ गया उसको ज़रा सा भी फिर्क नहीं हुईं मेरी क्या, कभी उसको जरा सा भी याद ना आई मेरी उसको याद भी न आया मेरे साथ बिताए हुए पल, ख़ैर ये सब बातों का क्या फ़ायदा अब जिसको जाना था वो तो चला ही गया हैं अबक मैं उसके बारे में इतना नहीं सोचती हूं। मैं वापस आ गई हूं अपनी पुरानी दुनिया में जहाँ माँ का प्यार हैं तो पिता का दुलार भी  हैं तो कहीं भाई का साहस तो कई दोस्तों का प्यार और मज़ाक भी हैं तो कहीं इस सब में अपने सपनों को पाने के लिए एक दिल से चाहत हैं तो कहीं घर वालों के अरमान जिनको अब पूरे करने हैं। कुछ दोस्त आज भी बहुत प्यारे हैं मेरे अब उनके लिए वक्त निकलती हूँ अब प्यार का न तो दर्द हैं न तो खुशी है जिंदगी चल रही हैं जैसे होती है।



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धन्यवाद !     Vikas Yudi