हां मैं हूं मतलबी, तो बताओ मैं क्या करूं - Vikas-Yudi


हां मैं हूं मतलबी, तो बताओ मैं क्या करूं, नहीं कर पाता हूं, कईयों से दोस्ती सबकी तरह, नहीं बांटना चाहता हूं अपने फीलिंग को सभी के साथ, जहां मेरे और मेरे फीलिंग की कद्र ही ना हो, तो वहां मैं मतलबी ही सही हूं, लोगों को फर्क नहीं पड़ता है, किसी और की फीलिंग से, लोगों को फर्क ही क्यों पड़ेगा, किसी और की फीलिंग से, तो होना ही पड़ता है मतलबी, उन लोगों से, खुद के लिए, उनके लिए, सबके लिए।

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